
300 किमी दूर हो रही कूनो के चीतों की शिफ्टिंग, खाने को मिलेंगे चिंकारा
Apr 15, 2025
मंदसौर। कूनों के चीतों की शिफ्टिंग 3 सौ किमी दूर गांधी सागर होने जा रही है। यहां इन चीजों को चिंकारा, नीलगाय जैसे जानवरों का शिकार इनके लिए आसान होगा। कुछ चीतों को कूनो नेशनल पार्क से गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में भेजने की मंजूरी मिल गई है। समिति ने यह भी कहा है कि चीतों को सड़क मार्ग से ले जाते समय गर्मी जैसे तनाव देने वाले कारकों का ध्यान रखा जाए। यह फैसला पिछले हफ्ते हुई एक बैठक में लिया गया। अभी भी यह चिंता बनी हुई है कि गांधी सागर में चीतों के लिए पर्याप्त शिकार है या नहीं और वहां तेंदुए जैसे शिकारी जानवर भी हैं। गांधी सागर को चीतों के दीर्घकालिक संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण जगह माना जा रहा है। इसका लक्ष्य कूनो-गांधी सागर क्षेत्र में 60-70 चीतों की आबादी बनाना है।
मध्य प्रदेश का वन विभाग एक साल से गांधी सागर को चीतों के लिए तैयार कर रहा है। पहले यह योजना थी कि अफ्रीका से आने वाले चीतों को यहां रखा जाएगा, लेकिन अभी तक भारत और अफ्रीकी देशों के बीच बात नहीं बन पाई है। पहले चरण में, चार-पांच चीतों को अभयारण्य के पश्चिमी भाग में एक बाड़े में छोड़ा जाएगा। 64 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को घेर लिया गया है और तेंदुओं को वहां से हटा दिया गया है ताकि चीतों और तेंदुओं के बीच लड़ाई न हो। अभी यह तय नहीं हुआ है कि गांधी सागर में कूनो से लाए गए चीतों को छोड़ा जाएगा या उन चीतों को जो अभी भी बड़े बाड़ों में हैं।
कूनो में 26 चीतों में से 17 जंगल में हैं और नौ बाड़ों में हैं। गांधी सागर में शिकार की कमी एक चिंता का विषय है। समिति ने मध्य प्रदेश के अन्य जंगलों से चीतल लाकर शिकार बढ़ाने के प्रयासों पर भी चर्चा की। गांधी सागर में शाकाहारी जानवरों के बाड़े भी हैं ताकि शिकार वहीं पर पैदा हो सके। मध्य प्रदेश वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) सुभारंजन सेन ने कहा कि गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में शिकार बढ़ाने का काम चल रहा है। हमारे पास शिकार के तौर पर फिलहाल चिंकारा, चौसिंघा, नीलगाय और चीतल हैं।