भारतीय संविधान में स्पष्ट लिखा, नागरिकता संघ सूची में....सीएए हर राज्य में लागू होगा

Mar 13, 2024

केरल, बंगाल और तमिलनाडू सरकार झूठ बोल रही 

नई दिल्ली । मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए को लागू करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। नोटिफिकेशन के बाद अब नागरिकता संशोधन कानून देशभर में लागू हो गया है। लेकिन राज्यों में कानून को लागू करने को लेकर विवाद बढ़ गया है। पश्चिम बंगाल और केरल जैसे कई राज्यों का कहना है कि वे अपने-अपने राज्यों में इस कानून को लागू नहीं करने वाले हैं। 

लेकिन भारतीय संविधान ने स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी राज्य सीएए लागू करने से इंकार नहीं कर सकता क्योंकि नागरिकता संघ सूची के तहत आता है ना कि राज्यों की सूची के आता है।  नागरिकता संशोधन का बिल दिसंबर 2019 में संसद के दोनों सदनों से पास हो गया था। इस कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, सिख, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के प्रताड़ित लोगों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। लेकिन इसके लिए शर्त है कि ये लोग 31 दिसंबर 2014 से भारत आए हो। 

केरल और बंगाल के मुख्यमंत्रियों का कहना है कि वे अपने राज्यों में सीएए को लागू नहीं करने वाले है। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि चुनावों से पहले सीएए के प्रावधानों को अधिसूचित करने का केंद्र का कदम देश में अशांति लाना है।  वहीं सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि ये बीजेपी का काम है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, उन्होंने न्यूज चैनलों के जरिए इस फैलाना शुरू कर दिया है। लेकिन डरें नहीं, हम बंगाल में सीएए लागू नहीं होने वाले हैं, ये बंगाल है। 

संविधान के अनुसार भारत के राज्य सीएए को लागू करने से इंकार नहीं कर सकते क्योंकि नागरिकता संघ सूची के तहत आती है ना कि राज्य सूची के तहत आता है। लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी अचारी ने बताया कि राज्यों के पास कोई विकल्प नहीं है, उन्हें संसद की ओर से पारित कानून को लागू करना होगा। जहां तक राज्यों की शिकायतों का सवाल है, वे हमेशा सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं।

सीएए के खिलाफ 220 याचिकाएं दायर

केरल के इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल), तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा, कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) नेता असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस नेता देबब्रत सैकिया, एनजीओ रिहाई मंच और सिटिजन अगेंस्ट हेट, असम एडवोकेट्स एसोसिएशन और कुछ कानूनी छात्रों सहित सीएए के खिलाफ कुल 220 याचिकाएं दायर की गई हैं। 

 


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