भिखारी मुक्त शहर बनाने की पहल पत्राचार में अटकी

Nov 16, 2024

कलेक्टर ने एक पखवाड़े में काम शुरु करने के दिए थे निर्देश

तीन माह बाद भी अटका है शहर में भिखारियों के पुनर्वास का मामला

भोपाल। भिखरी मुक्त शहर बनाने के लिए कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने अगस्त माह में अधिकारियों को सर्वे कर इनके पुनर्वास के निर्देश दिए। अधिकारियों ने आनन-फानन में सर्वे भी कर लिया लेकिन इनका पुनर्वास का मामला अभी भी अटका हुआ है। दरअसल इस मामलें सामाजिक एवं न्याय विभाग द्वारा नगर निगम भोपाल को पत्र लिखकर पुनर्वास के लिए एक भवन की मांग की गई जिस पर अभी तक कुछ निर्णय नहीं हो पाया है। इसी के चलते यह मामला अभी तक आगे नहीं बढ़ पाया है। इस मामले में निगम कोई भवन उपलब्ध नहीं करा पाया है जबकि सामाजिक न्याय विभाग इस स्कीम के तहत निगम के जवाब के इंतजार में बैठा हुआ है। नतीजा तीन माह से ज्यादा का समय हो गया मामला पत्रचार से आगे नहीं बढ़ पाया है। इस मामले में किए गए सर्वे को लेकर भी सवाल उठे है जिसके तहत भिखारियों की संख्या महज चंद सैकड़ों में दर्ज की गई है जबकि शहर में इतने समय में भिखारियों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। 

अगस्त में हुआ था सर्वे

राजधानी में भिखारियों की संख्या विधानसभावार की गई इसमें सबसे अधिक भिखारी गोविंदपुरा क्षेत्र में पाए गए इस सर्वे में पांच सौ से भी कम भिखारी की गणना की गई। सर्वे के मुताबिक सर्वाधिक भिखारी गांधी नगर क्षेत्र स्थित स्लम एरिया में रहते है।

वास्तविकता दस हजार से ज्यादा मानी जा रही है।

बच्चे और महिलाएं सर्वाधिक

भिखारियों की तादाद सर्वाधिक तौर पर एमपी नगर, गांधी नगर स्थित ब्रिज के नीचे, लालघाटी, न्यू मार्केट, 1150 स्थित हनुमान मंदिर, गुफा मंदिर, बिड़ला मंदिर, काली मंदिर सहित कुछ प्रमुख मंदिर और धर्म स्थलों पर पाई जाती है। इसके अलावा शनिवार के दिन एक गिरोह विशेष शनि का दान लेने के लिए निकलते है। इसके अलावा सरकारी अस्पताल, रेलवे स्टेशन, आईएसबीटी और हलालपुरा बस स्टेंड पर भी भिखारियों की तादाद देखी जा सकती है। इनमें से सबसे अधिक संख्या महिलाओं और बच्चों की है। सुबह से ही चाय-नाश्ते की दुकानों पर इनकी तादाद बढ़ने लगती है और दिनभर में कई क्षेत्रों में आपको भिखारी मिल सकते है। एक अनुमान के मुताबिक इनकी संख्या दस हजार के आसपास है।

इनका कहना है: 

भिखारियों के पुनर्वास मामले में हमने नगर निगम से जगह की मांग की है। अभी तक शहरी क्षेत्र में जगह या भवन का आवंटन नहीं हुआ है। इस मामले में पत्र लिखा गया है जिसका अभी तक जवाब नहीं आया है।

आरके सिंह, संयुक्त संचालक, सामाजिक न्याय एवं पुनर्वास विभाग

निगम को इस मामले में सामाजिक न्याय विभाग द्वारा जो पत्र भेजा गया है उसका अध्ययन कर उचित स्थान पर जगह का आवंटन होगा या फिर बना बनाया भवन देने पर विचार किया जा रहा है। जल्द ही निगम स्तर पर जो काम होना है उसे पूरा कर लिया जाएगा। 


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