दादा-दादी से अपार स्नेह, जीवन में मिलता आशीर्वाद का आधार"

Sep 09, 2024

 "बड़ों के अनुभव, परिवार के लिए अमूल्य मार्गदर्शन" 

"दादा-दादी का स्नेहिल हाथ, जीवन में सदा साथ" 

"दादी-नानी के घरेलू नुस्खे, हर छोटी बीमारी का समाधान" 

"बुजुर्गों की सहभागिता, घर की जिम्मेदारियों में सहारा" 

"अनुपस्थिति में परिवार के संरक्षक, ग्रैंडपेरेंट्स का अमूल्य योगदान" 

"सुख शांति भवन, नीलबड़ में धूमधाम से मनाया गया ग्रैंडपेरेंट्स डे" 

सुख शांति भवन में आज ग्रैंडपेरेंट्स डे का आयोजन बड़े उल्लास और उत्साह के साथ संपन्न हुआ। इस आयोजन में बच्चों ने अपने दादा-दादी और नाना-नानी के साथ मिलकर भाग लिया, जिसका मुख्य उद्देश्य था समाज में वरिष्ठ नागरिकों के महत्व को पहचानना और उनके आशीर्वाद एवं अनुभवों से मिलने वाले लाभों को समझना।

इस अवसर पर सुख शांति भवन की  निदेशिका, आदरणीय ब्रह्माकुमारी राजयोगिनी नीता दीदी जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय समाज की सदियों पुरानी व्यवस्था संयुक्त परिवार पर आधारित रही है, जहां बड़ों के अनुभव और मार्गदर्शन परिवार के लिए एक अनमोल धरोहर माने जाते हैं। लेकिन आज के समय में संयुक्त परिवारों की जगह एकल परिवारों ने ले ली है, जिससे कई सामाजिक चुनौतियाँ उत्पन्न हो रही हैं।

यदि हम संयुक्त परिवार से होने वाले लाभों के प्रति सुजाग हो जाए तो फिर से हम इस व्यवस्था को पुनः स्थापित कर सकते हैं।

संयुक्त परिवार में बड़ों के अनुभवों का लाभ हमें निशुल्क मिलता रहता है। जहां आज छोटे से नौकरी पेशे में भी अनुभवों का इतना महत्व समझा और देखा जाता है, वहीं फिर हम अपने वरिष्ठ जनों के अनुभवों को कैसे नकार सकते हैं। उनके जीवन के जो अनमोल अनुभव है वह संयुक्त परिवार में ही प्राप्त किया जा सकते हैं। इसी के साथ ही जब हमारे बड़े घर पर होते हैं तो छोटी बड़ी बीमारियों में उनका मार्गदर्शन हमें बहुत काम आता है। एवं जहां बड़े, सुखी होते हैं, वहां स्वतः ही उनकी दुआओ भरा हाथ सर पर होता है और दुआओं से हम पलते फलते फूलते रहते हैं साथ ही कई प्रकार के नकारात्मकताओं से बचे रहते हैं। दादी नानी के नुस्खे बड़े काम के होते हैं। छोटी-मोटी बीमारियां सर्दी खांसी बीमारी बुखार बदन दर्द आदि दादी नानियों के नुस्खे एवं कर्म से छुट्टियों में ठीक हो जाते हैं हो जाते हैं। बड़ों के घर पर होने से बहुत सारी जिम्मेवारियां वह सहज ही संभाल लेते हैं एवं हम निश्चिंत होकर के बाहर की जिम्मेवारियों को निभा सकते हैं।बड़े स्नेहपूर्वक बड़े बुजुर्ग बच्चों को प्रेरणात्मक कहानियां सुनाते हैं, स्कूल बस तक छोड़ने जाते हैं, उनके खाने-पीने आदि का ध्यान रखते हैं, अच्छे संस्कार देते हैं। साथ ही वे ही घर के सच्चे रक्षक एवं सहारे हैं क्योंकि आज की दुनिया में जहां आए दिन घर के नौकरों द्वारा विश्वास घाट विश्वास घात करना, चोरी करना, झूठ बोलना आदि अनेक समस्याएं आम हो गई है।वहीं यदि बड़े घर पर होते हैं तो हम इन सब चीजों से निश्चिंत हो जाते हैं। और वह घर के सच्चे रक्षक के रूप में हमारे मददगार भी बन जाते हैं।

नीता दीदी जी ने कहा कि यदि हम फिर से संयुक्त परिवारों की महत्ता को समझें और इसे पुनः स्थापित करें, तो न केवल हमें बड़ों के अनुभवों का लाभ मिलेगा बल्कि समाज में एक संतुलन भी स्थापित हो सकेगा। 

साथ ही हमारे बड़े बुजुर्ग जो आज एकाकीपन के शिकार होते जा रहे हैं  एवं कई वृद्ध आश्रम खुलते जा रहे हैं।वह भी इन सब समस्याओं से संयुक्त परिवार के माध्यम से बच सकते हैं एवं समाज में वही व्यवस्था पुनः स्थापित की जा सकती है।


इस अवसर पर दिगंबर भाई ने अपने पोते के साथ एक म्यूजिकल एक्सरसाइज प्रस्तुत की, जिसमें सभी उपस्थित लोगों को नृत्य करवा कर इस दिवस को और भी विशेष बनाया गया। तथा सभी ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। 

बच्चों ने कविताओं और गीतों के माध्यम से अपने ग्रैंडपेरेंट्स के प्रति सम्मान और स्नेह प्रकट किया। उन्होंने बताया कि वे अपने दादा-दादी और नाना-नानी से जीवन के कितने महत्वपूर्ण गुण सीख रहे हैं।

साथ ही आंख मिचौनी के खेल द्वारा आंखों पर पट्टी बांध कर बच्चों ने अपने दादी दादा को पहचाना।

कार्यक्रम की एक खास विशेषता यह रही कि बच्चों और उनके ग्रैंडपेरेंट्स को दिल के प्रतीक चिन्ह दिए गए, जिनका आधा हिस्सा बच्चों के पास और आधा हिस्सा उनके ग्रैंडपेरेंट्स के पास था। यह प्रतीक चिन्ह इस बात का संदेश था कि जीवन में बुजुर्गों का सानिध्य और उनके अनुभव हमें नई दिशा प्रदान करते हैं।

अंत में सभी उपस्थित लोगों को ईश्वरीय प्रसाद वितरित किया गया और कार्यक्रम का समापन हुआ। यह आयोजन न केवल मनोरंजक था, बल्कि बुजुर्गों के प्रति सम्मान और जिम्मेदारी को भी सुदृढ़ करने वाला साबित हुआ।


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