ड्रोप मेपिंग से चिन्हित होंगी शहर की अवैध कालोनियां
Ags 21, 2024
भोपाल। राजधानी की अवैध कालोनियों को अब ड्रोप मेपिंग से चिन्हित कर उनकी नपती की जाएगी। इसके चलते शहर में बनने वाली अवैध कालोनियों की सही स्थिति सामने आ पाएगी। हैरत की बात तो हयह ै कि जिले में राजस्व अधिकारियों द्वारा अब तक सिर्फ 250 अवैध कॉलोनियों को चिह्नित किया गया है। जबकि छह के खिलाफ ही प्रकरण बनाए गए हैं ।वह सभी हुजूर तहसील के हैं।अवैध कॉलोनियों को लेकर किया जा रहा सर्वे की गति काफी धीमी है।यही कारण है कि अब तक इतनी कम ही अवैध कालोनी चिह्नित की जा सकी हैं।
सर्वे की गति धीमी
सर्वे की धीमी गति को लेकर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने राजस्व अधिकारियों पर नाराजगी जताते हुए चेतावनी दी है कि वह अवैध कॉलोनियों के सर्वे में तेजी लाएं और सख्त से सख्त कार्रवाई करें।इसके बाद मंगलवार को अवैध कॉलोनी पर बुलडोजर चलाया गया तो वहीं हुजूर और कोलार में राजस्व अमला सक्रिय हो गया है।
सख्ती दिखाई तब सामने आई जानकारी
कलेक्टर ने बैठक में नामांतरण, बंटवारे और तेजी से विकसित हो रही कॉलोनियों पर संज्ञान लेते हुए नाराजगी व्यö की थी। इस बैठक के दौरान 250 कॉलोनियों की जानकारी सामने आई थी। कलेक्टर ने इन पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे, साथ ही अन्य कॉलोनियों की पहचान करने के लिए कहा था। इसके बाद हुजूर एसडीएम आशुतोष शर्मा ने अपने अधीनस्थ न्यायालयों से अवैध कालोनियों की जानकारी बुलाई है।
पुरानी फाइलें खंगाल रहे अधिकारी
इस समय जिला प्रशासन के अधिकारी हुजूर, कोलार, बैरसिया, गोविंदपुरा सहित सातों सर्कल के एसडीएम, तहसीलदारों ने अपने-अपने क्षेत्र में इस तरह की कॉलोनियों को चिह्नित करना शुरू कर दिया है। पुराने प्रकरणों की फाइलें भी तलाशी जा रही हैं। कॉलोनियों में विकास अनुमति, डायवर्जन, टीएंडसीपी की अनुमति सहित नगर निगम की अनुमति की जांच की जा रही है।इस तरह से जिला प्रशासन द्वारा अवैध कॉलोनियों की जानकारी एकत्रित कर शासन को भेजी जाएगी। इसके बाद इन कालोनियों की रजिस्ट्री और नामांतरण पर रोक लगाई जाएगी।
अवैध कॉलोनियों को लेकर यह है प्रशासन की योजना
जिले में अवैध कॉलोनियों को लेकर जिला प्रशासन द्वारा कानूनी कार्रवाई करने के साथ ही विकास की योजना भी तैयार की गई है। इसका लोगों पर भी अलग-अलग असर पड़ेगा। जहां पूरी कालोनी में प्लॉट कट चुके हैं, वहां कॉलोनाइजर पर कार्रवाई होगी, पर खाली प्लाट नहीं होने से प्रशासन वहां कोई प्लान ही नहीं बना पाएगा। ऐसे में लोगों को अपने प्लाट वैध कराने के लिए स्वयं आवेदन करना होगा।इसके अलावा जिन कॉलोनी में खाली प्लाट हैं प्रशासन उन्हें अधिग्रहित कर लेगा। इन प्लाटों की नीलामी होगी और उससे मिलने वाली राशि और लोगों से फीस लेकर पानी, बिजली, सड़क, सीवेज आदि सुविधाओं सहित विकास कार्य कराए जाएंगे।
255 पर हो चुकी एफआईआर
वर्ष 2016 या उससे पहले बनी कॉलोनियों को वैध माना गया है। जिले में कुल 576 अवैध कॉलोनी चिह्नित की गई हैं। इनमें से 321 को वैध श्रेणी में रखा गया है जबकि 255 को अवैध करार देते हुए दिसंबर 2023 तक उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई जा चुकी है। इन कॉलोनियों को नियमित करने के लिए प्रत्येक मकान मालिक को आवेदन करना होगा।
इनका कहना है
जिले के सभी एसडीएम और तहसीलदारों से अवैध कॉलोनियों का सर्वे कर चिह्नित करने के लिए कहा गया है।इसके आधार पर अवैध कालोनियों की रिपोर्ट तैयार की जाएगी। जिनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।सभी एसडीएम को अवैध कॉलोनाइजरों पर प्रकरण दर्ज कराने के निर्देश भी दिए गए हैं।
कौशलेंद्र विक्रम सिंह, कलेक्टर
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जीआईएस लैब:ड्रोन-सैटेलाइट से भोपाल और दूसरे शहरों पर रहेगी नजर, अवैध निर्माण कहां हो रहा है मिलेगा अलर्ट
भोपाल। भोपाल सहित प्रदेश की नगरीय निकायों को वैध-अवैध निर्माण के अलावा अतिक्रमण के भी अलर्ट मिलेंगे। नगरीय विकास एवं आवास संचालनालय ने भोपाल में जीआईएस लैब की स्थापना के लिए टेंडर फाइनल कर दिए हैं। लैब बनने के बाद ड्रोन और सैटेलाइट की मदद से शहरी क्षेत्रों पर नजर रखी जा सकेगी।
शहर में कहीं भी अवैध निर्माण होता है या बिल्डिंग परमिशन के अलावा अतिरिö निर्माण होता है तो संबंधित नगर निगम या नगर पालिका को अलर्ट मिलेगा। इसके बाद आयुö या सीएमओ संबंधित जगह पर अपनी टीम भेजकर जांच कर सकेंगे। नालों या सरकारी जमीन पर अतिक्रमण हुआ तो भी अलर्ट मिलेगा। लैब का निर्माण करीब एक साल में पूरा होगा और इस पर 13 करोड़ रु. खर्च होंगे।
खरीदार आॅनलाइन दे सकेंगे संपत्ति का ब्योरा।
निकायों को : लैब बनने के बाद सभी शहरी क्षेत्रों का पूरा नक्शा आॅनलाइन उपलब्ध होगा। सीवर लाइन, सड़क, सरकारी जमीन, निजी जमीन आदि की जानकारी आॅनलाइन होगी।
संपत्ति स्वामी को : अपने बकाया टैक्स, बिल्डिंग परमिशन आदि की स्थिति आॅनलाइन देख सकेंगे। संपत्ति खरीदने से पहले भी इनकी जानकारी ली जा सकेगी।
सर्वे एजेंसियों को : अभी कोई एजेंसी सर्वे करती है तो महीनों लगते हैं। अब एक क्लिक पर डेटा उपलब्ध होगा। पीएम गति शöि से डेटा अन्य सरकारी एजेंसियों से साझा करना आसान होगा।