वरिष्ठ योग साधक श्रीमती किरण जौहरी का सम्मान एवं जन्मदिन मनाया गया

Jul 25, 2024

- आदर्श योग केंद्र  इंडस गार्डन फेज एक बाबड़िया कलां भोपाल की

भोपाल । आदर्श योग आध्यात्मिक केंद्र के संचालक योग गुरु महेश अग्रवाल ने बताया कि बुजुर्गों का सम्मान करना हमारी परंपरा है। वृद्धजनों से हमें प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सदैव मार्गदर्शन मिलता है। देश में सर्वाधिक युवा हैं, बुजुर्ग उन्हें मार्गदर्शन देते रहें तो भारत को अग्रणी देश बनाया जा सकता है।  इस अवसर पर प्रमुख रूप से  कॉलोनी अध्यक्ष रमन श्रीवास्तव, वरिष्ठ  योग गुरु पुष्पा भदौरिया ,  रमेश कुमार साहू,   विमला साहू, मनीषा श्रीवास्तव, उर्मिला सिंह,  दीप्ती दूरवार , ज्योति खरे,  ज्योति परिहार, मंजुला श्रीवास्तव, आरती नायक , सविता गुप्ता, चंद्रकांता, सुनीता तेजवानी, कुसुम मिश्रा, सुनीता जैन, लक्ष्मी पाटीदार सहित सभी नियमित योग साधकों नें उनके स्वस्थ एवं दीर्घायु जीवन के लिए  बधाई एवं शुभकामनायें दी ।

योग गुरु अग्रवाल ने बताया कि सभी के लिए जन्मदिन एक खास दिन होता है। हम उसे जन्मदिन की सबसे बेहतरीन शुभकामनायें देकर इस दिन को उसके लिए वो साल का सबसे खूबसूरत दिन बना सकते है, साथ ही हम उसके दिल में अपने लिए अधिक सम्मान और प्यार पा सकते है। प्रत्येक जन्मदिवस यज्ञीय वातावरण में मनाना चाहिए। आप जिस भी धर्म को मानते हैं, उसके अनुसार परमात्मा के सानिध्य में पुण्यकृत करते हुए मनाना चाहिए। जिसने हमे समय दिया है उसे कम से कम याद ज़रूर करना चाहिए और उसका आभार मानना चाहिए। अपना घर छोड़ कर आये हैं तो एक दिन वापस भी जाना ही है, हर जन्म दिवस उस अवधि की याद दिलाता है। हमे जिस कार्य के लिये यह शरीर और संसार मिला है उसे पूरा किया या नही, उस दिशा में कितनी उन्नति की इस विषय पर प्रत्येक जन्मदिवस पर चिंतन करना चाहिए। बाकी हमारी तो वास्तव में कभी मृत्यु होती नही, बस शरीर, किसी पुराने कपड़े की तरह छूट जाता है, और नया शरीर मिलता है।

भारतीय संस्कृति के अनुसार जन्मदिन मनाना चाहिये। आध्यात्मिक अर्थ- जन्मदिन अर्थात जीव की आध्यात्मिक दृष्टि से उन्नति। जीव की निर्मिति से ही उसकी आध्यात्मिक उन्नति आरंभ होती है। यद्यपि जीव प्रत्यक्ष साधना नहीं कर रहा हो, तब भी उस पर किए गए संस्कारों के कारण उसकी सात्त्विकता में वृद्धि होती है तथा उसकी आध्यात्मिक उन्नति आरंभ होती है। जन्मदिन तिथि का महत्त्व - जिस तिथि पर हमारा जन्म होता है, उस तिथि के स्पन्दन हमारे स्पन्दनों से सर्वाधिक मेल खाते हैं। इसलिए उस तिथि पर परिजनों एवं हितचिन्तकों द्वारा हमें दी गई शुभकामनाएं एवं आशीर्वाद सर्वाधिक फलित होते हैं इसलिए जन्मदिन तिथिनुसार मनाना चाहिए।

योग गुरु अग्रवाल नें बताया कि मातृ देवो भवः, पितृ देवो भवः - इस पंक्ति को बोलते हुए हमारा शीष श्रद्धा से झुक जाता है और सीना गर्व से तन जाता है । यह पंक्ति सच भी है जिस प्रकार ईश्वर अदृश्य रहकर हमारे माता पिता की भूमिका निभाता है उसी प्रकार माता पिता हमारे दृश्य, साक्षात ईश्वर है। इसीलिए तो भगवान गणेश ने ब्रह्माण्ड की परिक्रमा करने की बजाय अपने माता पिता शिव- पार्वती की परिक्रमा करके प्रथम पूज्य होने का अधिकार हांसिल कर लिया था, हमें अपने बड़ों के साथ रहना चाहिए और उनकी सभी जरूरतों को ध्यान रखना चाहिए। परिवार के वरिष्ठ ही सबकुछ है... हिम्मत है... हौसला है... संबल है... ताकत है... खुशी है और हर आपदा को जितने का अटल विश्वास है।


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