सत्ता के गलियारे से
Ags 07, 2024
क्या उमा भारती का पुनर्वास होगा राजनीति में ...
प्रदेश की पूर्व सीएम उमा भारती इन दिनों क्यों खामोश चल रही हैं। यह सवाल राजनीतिक गलियारों में पूछा जा रहा है। भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना हैकि पहले यह सोचा जा रहा था कि उमा भारती को भी राज्यपाल बनाया जा सकताहै लेकिन केन्द्र में मोदी सरकार के पूरी तरह से पावर में नहीं आने के कारण अब समीकरण बदल रहे हैं। फिर भी उमाश्री के समर्थकों को यह उम्मीद है कि उनको कहीं न कहीं आगे चल कर एडजस्ट किया जा सकता है। देखते हैं समय की धार कब बदलती है लेकिन इतनाजरूर हैकि उनका पावर कैम्प कमजोर नहीं हो रहा है।
मामा दिल्ली में और असर भोपाल में
प्रदेश के पूर्व सीएम शिवरजा सिंह चौहान के प्रैशर से यहां की राजनीति अलग नहीं हो पा रही है। पहले यह माना जा रहा था कि मामा के दिल्ली जाने से अब यहां पर पावर सेंटर नए सीएम डा.यादव बनेंगे लेकिन अंदर की खबर हैकि यहां पर सीनियर पुराने नेता अपने आप को बंधा हुआ पा रहे हैं। इसलिये उनको जब भी मौकामिलता है वह दिल्ली दौरे पर जा कर मामाजी को यहां के हाल बताते हैं7 अंदर की खबर यह है कि मामा ने उनको दिलासा दी हैकि अभी खामोशी से अपना काम करना होगा कयोंक दिसंबर तक सितारे फिर चाल बदल सकते हैं। अब सबकी नजर सितारों की चाल पर है।
योगी और जीतू पटवारें में क्या कॉमन है
इन दिनों प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी के जलवों की चर्चा है। लोग उनकी तुलना उप्र के सीएम योगी से करने लगे हैं। वजह भी है खास है दोनों के ही पांव अंगदजैसे हैं और उनहोंने दिल्ली को सेट कर लिया है। यही वजह है कि लोकसभा में कांग्रेस की बुरी तरह से हार होने के बाद भी आज तक कोई जिम्मेदारी लेने को तैयारनहीं हुआ। पहले कहा जा रहा था कि जीतू पटवारी को रिप्लेस किया जा सकता है लेकिन ऐसा कुछनहीं हुआ। ऐसा ही कुछ योगी के साथ भी हुआ है। जाहिर है दोनों के सितारों में कुछ तो बात होगी।
मियां सीखने नहंी घूमने गये थे ....
भोपाल नगर निगम भले ही घाटे में चल रहा हो लेकिन यहां के अधिकारियों और पार्षदों के जलवे कम नहीं हो रहे हैं। हाल ही में 40 लाख का चूना लगा कर स्वच्छ भारत मिशन के स्टडी टूर पर भोपाल के पार्षद इस समय गुजरात के अहमदाबाद में सूखे-गीले कचरे का निपटारा कैसे होता है यह सीखने गये थे। वहां से लौटने के बाद भी जब वह सड़कों पर नहीं दिखे तो एक पार्षद से उनके सहयोग ने पूछा ... आप वहां जो सीख कर आए हैं उसको मैदानम ें कब उतारेंगे इस पर उनका जवाब था सीखने को वहां था ही क्या ... हम तो अयोध्या दर्शन करने जानाचाहते थे पर वहां का टूर नहीं बन पाय तो अहमदाबाद चले गये। इसमें क्या है।
काम आयी सुबह शाम की हाजिरी
्नगर निगम के एक जुगाड़ू लाल अधिकारी इन दिनों चर्चा में चल रहे हैं। साहब के पास पास पहले झील का काम था तो उन्होंने इसके सहारे बड़ं तालाब में बहुत पैसा बहाया पर वह साफ नहीं हो पाया। लोगों को लगा कि इससे साहब को दिक्कत होगी पर साहब का प्रमोशन हो गया और उनको पीएम हाउसिंग के आवासों का भी काम मिल गया। पर क्या करें शनि महाराज भी तो पीछे चल रहे थे... पीएम आवास न तो समय पर पूरे हुए और न ही गुणवत्ता के साथ बने लेकिन फिरभी सहाब का बाल भी बांकानहीं हुआ। कुछकसर रह गयी थी तो साहब को अब निगम का एबीएम और सिटी इंजीनियर का काम भी मिल गया। अब साहब के पौ बारह है। उनकी सारी उंगलियां घी में हैं और सिर कढ़ाई में। लेकिन समय कह कर नहीं आता है। इसके पीछे उनकी सेटिंग करने वाले एक मंत्रीजी अब उनसे नाराज होने लगे हैं इसलिये जल्द ही वह जमीन पर नजर आ सकता हैं। पर साहब हैं कि उनको मनाने के लिये सुबह शाम मंत्रीजी के बंगले पर हाजिरी लगा रहे हैं।
कोचिंग क्लास के खेल में परेशान है साहब
राजधानी के एक पूर्व आईएएस अफसर काफी परेशान हैं। हाल ही में उन्होंने रिटायर मेंट के बाद अपने मित्रों की मदद से आईएएस अकादमी खोली थी और उसमें उनको काफी उम्मीदें भी थीं। परदिक्कत यह है कि उनहोंने जिस जगह पर इसको खोलाथा उसकी कोचिंग के लिये जो जगह देखी जा रही थी उसमें बेसमेंट का एरिया भी था। अब प्रशासन ने दिल्ली हादसे के बाद शहर की छह कोचिंग सेंटरों के बेसमेंट में लगने वाली क्लासेस पर ताला लगायाहै। उनको डर है कि इसकी आंच उन पर भी आएगी ...। बस फिरक्या थाआनन फानन में उन्होंने बेसमेंट में लगने वाली क्लासेस को ऊपरी मंजिल पर शिफ्ट करा कर नीचे का हाल खाली कर दिया है। पर उऊपर की मंजिल का किराया ज्यादा हैतो वह कोचिंग की फीस बढ़ाने की जुगत में लगे हैं।