युग प्रदेश विशेष निगम के दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को योग्यता के आधार पर नहीं मिल रहा वेतन
Ags 21, 2024
शासन के आदेश पर कमेटी बनी लेकिन न पद नाम बदला, न बढ़ा वेतन मिला
भोपाल। नगर निगम के 13 हजार दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को उनकी योग्यता के आधार पर उच्च कुशल,कुशल, अर्द्धकुशल और अकुशल श्रेणी में लाभ देना था लेकिन पांच साल बाद भी इस फैसले पर अमल नहीं हो पाया। दरअसल नगरीय प्रशासन विभाग के आदेश के बाद तत्कालीन निगम के अपर आयुक्त मयंक वर्मा के कार्यकाल के दौरान इसके लिए काम शुरु हुआ। सभी दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों से उनकी योग्यता संबंधी दस्तावेज मांगे गए और
भरोसा दिलाया गया कि उनकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर उनकी श्रेणी बदली जाएगी लेकिन आज तक इस क्षेत्र में काम नहीं हो पाया। नतीजा 13 हजार में से चार हजार कर्मचारी अभी भी अपनी योग्यता से नीचे स्तर की श्रेणी में काम करने को मजबूर है। चूंकि इन कर्मचारियों की आवाज उठानेवाला कोई नहीं है जिसके चलते इस फैसले पर अमल नहीं हो पा रहा है। कई मामलों में तो उच्च श्रेणी में नियुक्त किए गए दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को बाद में उनकी श्रेणी बदलकर नीचे की श्रेणी में काम करने को मजबूर किया गया है। ऐसी स्थिति में शासन के आदेश के बावजूद कर्मचारियों को अपनी योग्यता के आधार पर नगर निगम वेतन देने से कतरा रहा है। चूंकि यह फाइल बनकर तैयार है इसके बावजूद कर्मचारियों की श्रेणी नहीं बदली जा रही है। इस मामले में निगम की जीएडी शाखा के उपायुक्त स्तर के अधिकारियों पर इसे लटकाने का आरोप है। कई मामलों में कर्मचारियों के हितलाभ को दरकिनार करने के लिए पूर्व में भी बेतूकी दलीलें दी गई इसकी वजह से भी यह मामला अटका हुआ है। बता दें कुछ साल पूर्व शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री काल में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को उनकी शिक्षा और योग्यता के आधार पर शासन द्वारा निर्धारित श्रेणी में संबंद्ध कर लाभ देना था लेकिन निगम ने इस मामले को बस्ताबंद कर दिया है।
निगम में कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की संख्या-13 हजार
वर्तमान श्रेणी से अपर श्रेणी में प्रमोट होनेवाले कर्मचारियों की संख्या- 4 हजार
उच्च कुशल श्रेणी में वेतनमान-13 हजार से ज्यादा
कुशल श्रेणी में वेतनमान- 11 हजार से ज्यादा
अर्द्वकुशल श्रेणी में वेतनमान-8 हजार
अकुशल श्रेणी में वेतनमान- 7 हजार दो सौ रुपए
इनका कहना है: नगर निगम ने इस क्षेत्र में काम किया है और यदि सूची कागजों में बंद है तो इस मामले की अधिकारियों से चर्चा कर कर्मचारी हित में निर्णय लिया जाएगा।
किशन सूर्यवंशी, निगम अध्यक्ष