
सिंगापुर और इजराइल की तर्ज पर दूर होगा दिल्ली का जल संकट
Mar 20, 2025
नई दिल्ली । दिल्ली के पास अपना जल स्रोत नहीं है। दूसरे राज्यों पर निर्भर होने के बावजूद पानी की बर्बादी रोकने और खपत पर नियंत्रण के लिए कारगर कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। कुप्रबंधन के कारण बड़ी मात्रा में पीने योग्य पानी बर्बाद हो रहा है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से मिलने वाले शोधित पानी का भी समुचित उपयोग नहीं हो रहा है। यही वजह है कि अन्य महानगरों से अधिक पानी मिलने के बावजूद दिल्ली की बड़ी आबादी को जल संकट से जूझना पड़ता है। स्थिति को सुधारने के लिए बेहतर जल प्रबंधन वाले देशों का अनुसरण करने की जरूरत है। दिल्लीवासियों की प्यास बुझाने के लिए 1290 मिलियन गैलन प्रतिदिन (एमजीडी) पानी की जरूरत है। इसके मुकाबले करीब 1000 एमजीडी पानी उपलब्ध है। जरूरत से करीब 22 फीसदी कम पानी मिल रहा है।
अनुमान है कि वर्ष 2031 तक दिल्ली के लिए पानी की मांग 1746 एमजीडी तक पहुंच जाएगी। अगर अभी से पानी की बर्बादी रोकने और उपचारित अपशिष्ट जल के इस्तेमाल के लिए गंभीर प्रयास नहीं किए गए तो दिल्लीवासियों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के अधीन केंद्रीय लोक स्वास्थ्य एवं पर्यावरण अभियांत्रिकी संगठन (सीपीएचईए) की ओर से तय मानक के अनुसार महानगरों में पानी की खपत 150 एलपीसीडी (लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन) तय है। जबकि, दिल्ली में 272 एलपीसीडी पानी तय है।