आगामी चुनाव के लिए घातक बनी डीपफेक तकनीक
Dec 27, 2023
- उम्मीदवारों की ग़लतियों की एनीमेटेड वीडियो बनाकर मूर्ख रुप में किया जायेगा प्रदशित्
नई दिल्ली। आगामी आम चुनावों से पहले कृत्रिम मेधा से जुड़े डीपफेक तकनीक से खतरनाक हथियार बना नजर आ रहा है। राजनीतिक परिदृश्य में एक जनमत को प्रभावित करने की कोशिश की कल्पना के दुष्परिणाम नजर आने लगे हैं।
डिजिटल मैनिपुलेटर्स के खुफिया ऑपरेशन में पता चला है कि महत्वकांक्षा की इस संघर्ष में किस प्रकार प्रतद्वंदी को निशाना बनाया जा सकता है।
इंवेस्टिगेशन की शुरुआत नोएडा के रोहित पाल के साथ हुई। रोहित पाल ने डिजिटल पब्लिसिटी नाम के आउटलेट की स्थापना की है। इसमें साल 2024 आम चुनाव के लिए संभावित उम्मीदवारों की पहचान करना और रणनीतिक तरीके से उनका चुनाव अभियान तैयार करना है।
रोहित पाल का मुख्य फोकस डीपफेक वीडियोज बनाना है ताकि विपक्षी उम्मीदवारों को बदनाम किया जा सके।
रोहित पाल ने बताया कि हम ऑनलाइन इमेज को चमकाकर पॉजिटिव इमेज बनाएंगे। इसके लिए एनीमेटेड वीडियो में पार्टियों के उम्मीदवारों की ग़लतियों को उजागर कर उन्हें मूर्ख के रुप में प्रदशित् करेंगे।
पाल ने सब्सक्रिप्शन आधारित एप के जरिये डीपफेकस बनाने की प्रक्रिया को समझाते हुए बताया कि कैसे इसकी प्रमाणिकता पर जोर दिया जाएगा।
जब हमने उनसे पूछा कि क्या एआई से बने ये वीडियो खुलासे में नहीं आ जाएंगे। तो उन्होंने वादा किया कि ये फुलप्रुफ कंटेट होगा। उन्होंने कहा, हम इसे इस तरह से तैयार करते हैं कि लोग इसके नकली होने पर बहस तो कर सकते हैं, लेकिन इसका पता लगाना बहुत चुनौतीपूर्ण है। एक औसत व्यक्ति इसे पहचानने में सक्षम नहीं होगा; यह पूरी तरह से ऑरिजिनल और प्रामाणिक प्रतीत होता है।
रोहित पाल ने डीपफेक मैटेरियल बनाने में लगने वाले ज्यादा वक्त से जुड़ी चिंताओं को भी दूर किया। उन्होंने स्पष्ट किया, इसमें अधिक समय की आवश्यकता नहीं है क्योंकि एआई सभी काम को मैनेज करता है; हम केवल आदेश जारी करते हैं। हां, हम निर्देश देते हैं, और टूल्स ऑटोमैटिक रूप से बाकी काम संभालते हैं।
उन्होंने इस काम के बाकी तकनीकी पहलुओं को भी समझाया और बताया कि उनके कंटेट कैसे सुपर क्वालिटी के होते हैं। उन्होंने कहा- सर हमारी चीजें हाई डेफिनेशन क्वालिटी की होती है, ये शानदार होता है।
फिर उन्होंने डीपफेक बनाने में उपयोग किए जाने वाले ऐप्स की सब्सक्रिप्शन कॉस्ट के बारे में जानकारी दी।
यह लगभग 25 से 30 डालर का है। यह टूल के लिए है, उनके इस्तेमाल के लिए है। सदस्यता की सीमा एक महीने, 45 दिन, 6 महीने, 30 दिन से 60 दिन तक अलग-अलग होती है।
इस जांच में हमें पाल के बिजनेस डील का भी पता चला। उन्होंने हर उम्मीदवार के लिए हर महीने 5 लाख की फीस बताई।
उन्होंने विरोधियों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के इरादे से डीपफेक के अंतरंग वीडियो बनाने की भी पेशकश की।
रोहित पाल ने हमें समझाया। सबसे पहले हम इन्हें सोशल मीडिया पर यूटीलाइज करेंगे, रणनीतिक रुप से डीपफेक्स जारी करेंगे, समय समय पर कॉल रिकॉर्डिंग्स रिलीज करेंगे। हमें आपकी गाइडेंस की जरूरत होगी कि हम उन्हें कब रिलीज करें।
जब हमने अपलोड किए जाने वाले इन कंटेंट्स की ऑरिजिन के पता चलने को लेकर चिंता जताई तो उन्होंने हिम्मत से जवाब दिया- हम इन सारी चीजों को मैनेज करेंगे, हम अपना आईपी एड्रेस बदल देंगे ताकि लोगों को ये लगे कि हम अमेरिका में हैं और वहां से भारत के लिए काम कर रहे हैं। इन सारी कारगुजारियों के लिए कैश की चर्चा करते हुए रोहित पाल ने हर कैंडिडेट के लिए 5 लाख रुपये की डिमांड की।