तीन लोस सीटें जीतने एडी-चोटी का जोर लगा रही कांग्रेस

Mar 16, 2024

प्रत्याशियों के चयन से लेकर चुनाव प्रचार तक में बरत रही विशेष सतर्कता

   भोपाल । प्रदेश कांग्रेस लोक सभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड रही है। विशेषकर प्रदेश की तीन लोक सभा सीटों को जीतने के लिए प्रत्याशी के चयन से लेकर चुनाव प्रचार तक में पूरी एडी-चोटी का जोर लगा रही है। होशंगाबाद, विदिशा और इंदौर लोकसभा सीटों को कांग्रेस इस बार भी बड़ी चुनौती मानकर चल रही है। यहां भाजपा 2019 के लोकसभा चुनाव में पांच लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीती थी। पिछले चुनाव में कांग्रेस को मिली बड़ी हार के बाद अब प्रत्याशी चयन के लिए पार्टी बड़ा जोड़-गणित कर रही है।उधर, रतलाम और मंडला सीट पर पिछले चुनाव में भाजपा को कम अंतर से जीत मिली थी, लेकिन पार्टी अपनी जीत को लेकर निश्चिंत दिखाई दे रही है और यही वजह है कि इस बार भाजपा कम अंतर से जीत वाली अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित इन दोनों सीटों पर प्रत्याशी की घोषणा कर तैयारी शुरू कर दी है। मंडला में 97674 और रतलाम में भाजपा को 90636 वोट के अंतर से जीत मिली थी।

यह अन्य सीटों के मुकाबले बहुत कम अंतर से जीत थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए सुरक्षित मंडला संसदीय सीट से फिर भाजपा ने फग्गन सिंह कुलस्ते पर भरोसा जताया है। यह बात अलग है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में भाग्य ने उनका साथ नहीं दिया। 2019 के चुनाव में भी वे 97674 मतों से ही जीते थे। कांग्रेस ने इस बार कुलस्ते को चुनौती देने के लिए ओमकार सिंह मरकाम को प्रत्याशी बनाया है। छिंदवाड़ा में कांग्रेस से नकुल नाथ के विरुद्ध पिछले दो विधानसभा चुनाव हारने वाले विवेक बंटी साहू भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। रतलाम एसटी सीट से भाजपा ने वन मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी अनिता चौहान को प्रत्याशी बनाया है। इसी तरह विदिशा से शिवराज सिंह चौहान, इंदौर से शंकर लालवानी और होशंगाबाद संसदीय सीट से किसान नेता दर्शन सिंह चौधरी भाजपा प्रत्याशी हैं। इन तीन सीटों पर कांग्रेस अब तक प्रत्याशी घोषित नहीं कर सकी है। इस संबंध में मप्र भाजपा के मीडिया प्रभारी  आशीष अग्रवाल का कहना है कि मोदी की गारंटी, डबल इंजन की सरकारों के काम और बूथ समिति की ताकत इन तीनों को लेकर भाजपा 29 लोकसभा सीट जीतने जा रही है।

जीतू पटवारी जब से प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बने हैं, रोज सैंकडों कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हो रहे हैं। कांग्रेसी आपस में लड़ रहे है और भाजपा अपने कार्यों के आधार पर लोकसभा चुनाव में जनता के बीच जा रही है। वहीं मप्र कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा का कहना है कि कोई संदेह नहीं है कि शहरी क्षेत्रों में भाजपा ने अपने भ्रष्टाचार युक्त विकास से नागरिकों को भ्रमित किया है। इसी वजह से हम यहां बडे अंतर से हार रहे हैं, किंतु इस भ्रम में आदिवासी क्षेत्र शामिल नहीं हुए। लिहाजा वहां हार जीत का अंतर बहुत कम रहा है। अब भाजपा का यह तिलिस्म धीरे धीरे टूट रहा है।



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