समाधान नहीं निकलने से कर रहे आत्महत्या
Apr 16, 2024
भोपाल । हाल ही में इंदौर में एक युवती ने 16वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। युवती सोमेटाइजेशन से पीड़ित थी। ऐसे कई लोग हैं, खासकर युवा जो सोमेटाइजेशन से पीड़ित हैं। उन्हें समय पर इलाज उपलब्ध करवाकर बचाया जा सकता है। युवाओं में नौकरी, पारिवारिक चिंता, आर्थिक स्थिति के कारण तनाव, अवसाद, बढ़ता जा रही है। कई मामलों में समाधान नहीं मिलने के कारण वे आत्महत्या के लिए प्रेरित हो रहे हैं। शहर में हर वर्ष सैकड़ों लोग इसी के चलते आत्महत्या कर रहे हैं। इसका एक कारण यह भी है कि इनके मनोरोग को परिवार के सदस्य ही नहीं समझते हैं।
सरकार द्वारा मनोरोग के लिए संचालित टेलिमानस हेल्पलाइन में मार्च में 1700 से अधिक लोगों ने काउंसलिंग ली। इसमें सबसे अधिक फोन नींद न आने की शिकायत को लेकर आए, वहीं मनोदशा की उदासी को लेकर काफी फोन आ रहे हैं। इसमें यह बता रहे हैं कि वे खुश नहीं है। उन्हें ऐसा लग रहा है कि समझने वाला भी कोई नहीं है। राजधानी के मनोचिकित्सक के अनुसार, सोमेटाइजेशन को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी है। इसमें शरीर के किसी एक हिस्से में दर्द होता है और इसका कारण भी समझ नहीं आ पाता है। इस कारण अकसर व्यक्ति लंबे समय तक पीड़ा से गुजरता है।
इनके मन में आसपास के सामान्य लोगों की तरह दैनिक जीवन न जी पाने का अफसोस रहता है। इसमें पीड़ित के आसपास नकारात्मक वातावरण बन जाता है। वह नकारात्मक चीजों को ही देखना पसंद करता है। हाल ही में एक मरीज काउंसलिंग के लिए आया था, जिसमें उसे सांस फूलने की शिकायत थी। जांच में कुछ सामने नहीं आ रहा था। मरीज को लग रहा था कि उसे अस्थमा हो सकता है, लेकिन वह सोमेटाइजेशन से पीड़ित है। विशेषज्ञों ने बताया कि यदि शरीर से किसी हिस्से में लंबे समय से दर्द बना हुआ होता है।
उसकी जांच के बाद भी यदि कुछ सामने नहीं आता है कि उसे एक बार खुद से यह सोचना चाहिए कि यह मनोरोग के कारण तो नहीं हो रहा है। ऐसे में एक बार मनोचिकित्सक की सलाह भी अवश्य लेना चाहिए। वहीं परिवार को भी इसे लेकर जागरूक होने की आवश्यकता है कि कोई सदस्य यदि अपनी कोई परेशानी बता रहा है तो उसे समझने की कोशिश करना चाहिए। यदि परिवार के सदस्य या दोस्तों से पीड़ित चर्चा कर लेता है तो उसके अंदर आने वाले नकारात्मक विचार कम हो जाते हैं। एक माह में टेलिमानस हेल्पलाइन पर 1700 से अधिक लोगों की काउंसलिंग की गई। इसमें सबसे अधिक 267 लोगों ने नींद से संबंधित समस्या बताई गई।